History of ravan Righter Shiva
क्या रावण के दस सिर थे?
कहते हैं रावण के दस सिर थे। क्या सचमुच यह सही है? कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे। कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद का ज्ञाता था इसीलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था। दसकंठी कहे जाने के कारण प्रचलन में उसके दस सिर मान लिए गए। Technical Shiva
हालांकि ज्यादातर विद्वान और पुराणों अनुसार तो यही सही है कि रावण एक मायावी व्यक्ति था, जो अपनी माया के द्वारा दस सिर के होने का भ्रम पैदा कर सकता था। उसकी मायावी शक्ति और जादू के चर्चे जग प्रसिद्ध थे। Technical Shiva
' रावण'... दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। राम तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन रावण नहीं। रावण तो सिर्फ रावण है। राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को दशानन भी कहते हैं। कहते हैं कि रावण लंका का तमिल राजा था। सभी ग्रंथों को छोड़कर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य में रावण का सबसे 'प्रामाणिक' इतिहास मिलता है। Shiva,
क्या रावण के दस सिर थे?
कहते हैं रावण के दस सिर थे। क्या सचमुच यह सही है? कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे। कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद का ज्ञाता था इसीलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था। दसकंठी कहे जाने के कारण प्रचलन में उसके दस सिर मान लिए गए। Technical Shiva
जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं। उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था। Technical Shiva
रावण के दस सिर होने की चर्चा रामचरितमानस में आती है। वह कृष्णपक्ष की अमावस्या को युद्ध के लिए चला था तथा एक-एक दिन क्रमशः एक-एक सिर कटते थे। इस तरह दसवें दिन अर्थात् शुक्लपक्ष की दशमी को रावण का वध हुआ। इसीलिए दशमी के दिन रावण दहन किया जाता है। Technical Shiva
रामचरितमानस में वर्णन आता है कि जिस सिर को राम अपने बाण से काट देते थे पुनः उसके स्थान पर दूसरा सिर उभर आता था। विचार करने की बात है कि क्या एक अंग के कट जाने पर वहाँ पुनः नया अंग उत्पन्न हो सकता है? वस्तुतः रावण के ये सिर कृत्रिम थे- आसुरी माया से बने हुए।
मारीच का चांदी के बिन्दुओं से युक्त स्वर्ण मृग बन जाना, रावण का सीता के समक्ष राम का कटा हुआ सिर रखना आदि से सिद्ध होता है कि राक्षस मायावी थे। वे अनेक प्रकार के इन्द्रजाल (जादू) जानते थे। तो रावण के दस सिर और बीस हाथों को भी मायावी या कृत्रिम माना जा सकता है।
मारीच का चांदी के बिन्दुओं से युक्त स्वर्ण मृग बन जाना, रावण का सीता के समक्ष राम का कटा हुआ सिर रखना आदि से सिद्ध होता है कि राक्षस मायावी थे। वे अनेक प्रकार के इन्द्रजाल (जादू) जानते थे। तो रावण के दस सिर और बीस हाथों को भी मायावी या कृत्रिम माना जा सकता है।
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